समय कहां रुकता है
कभी किसी के लिए
समय का पहिया तो
चलता ही रहता है निरंतर
बिना एक पल भी गंवाये
बिना सांस लिये
बिना होश खोये
बिना रुके
बिना झुके
बिना थमे
हर काल में
हर किसी के जीवन में
समय का पहिया
जिस गति से चल रहा हो
उस गति से जो साथ में
नहीं चल पाया
वह उसे फिर पीछे छोड़ता हुआ
आगे बढ़ता ही चला जायेगा
एक बार आंखों से जो ओझल
हुआ तो
दौड़ते रहो उम्र भर पर फिर
पकड़ में नहीं आयेगा
समय का पहिया
किसी पर हल्का पड़ता है तो
किसी पर भारी
समय का पहिया किसी को
रौंद देता है तो
किसी को अपनी पीठ पर
बिठाकर करवाता है
एक हाथी पर सवार किसी
यशस्वी राजा सी ही सवारी
समय का पहिया
आकर में छोटा हो तो
धीमी गति से चलता है
कहीं गर हो बड़ा तो
हाथों की पकड़ से छूटता है
समय का पहिया
कांच की चूड़ी सा बीच
राह में चटक भी जाता है
कभी एक मजबूत लोहे के कड़े
सा दिल के दरवाजे को
संबल देता उस पर एक
मजबूत ताले सा लटक जाता है
समय का पहिया कभी
एक सूरज सा जीवन में
चारों तरफ प्रकाश फैलाता है तो
कभी एक डूबती हुई चांद की
कश्ती सा ही
अंधकार के समुन्दर में
डुबो देता है।