सपने
कभी दिखते श्वेत श्याम तो
कभी होते रंगीन
कभी एक ही रंग में रंगे तो
कभी रंगहीन भी
कभी साफ सुथरे, स्पष्ट
एक स्वच्छ दर्पण या
एक शुद्ध जल की बहती नदी से तो
कभी धुंधले, धुएं से भरे और
धूमिल
इस जीवन के कोरे कागज
के सफेद रंग पर ही उभरती
असंख्य छोटी बड़ी समस्याओं के
काले धब्बों की तरह
सपने पूर्ण करते
किसी व्यक्ति की अतृप्त इच्छाओं को
सपने मन के कितने करीब होते
कितने सच्चे होते
कितने अच्छे होते
कितने अपने होते
सपने न हों तो यह जीवन का
अधूरापन न हो पाये कभी पूरा
सपने तो रात्रि बेला के
कदम्ब के नीचे
जाग रहा एक पूरा
रचना संसार होते
सपने कितने जीवंत होते
सपने विचित्र भी होते
सपने कभी कभी विचलित भी करते लेकिन
किसी भी मनुष्य के जीवन में स्थिरता लाने का
केंद्र बिंदु तो सपनों में चल रहे
दृष्टि बिंदु ही होते।