जो सड़क मैंने चुनी
उसने मेरे सपनों की मंजिल
मेरे लिए बुनी
सड़क चमकीली थी तो
कभी सुनहरी
सड़क पथरीली थी तो
कभी मटमैली
सड़क एक फूलों का बिछौना थी तो
कभी एक कांटों की शैया
सड़क कभी तन्हा थी तो
कभी एक काफिला साथ लिए
सड़क घिरी थी हरे भरे वृक्षों से तो
कभी कटीली झाड़ियों से
सड़क कभी सीधी सपाट थी तो
कभी टेढ़ी मेढ़ी
घुमावदार
मोड़ पर मोड़ लेती
सड़क कभी कोई कहानी कहती थी तो
कभी किसी की जिंदगी मिटाती थी
सड़क का सफर कभी था
सुहाना तो
कभी एक भूतों की फिल्म सा
डरावना
सड़क एक फिसलते हुए शीशे
के दर्पण सी तो
कभी एक हिचकोले खाती
झटको सी
सड़क सिमटती थी कभी
एक चौराहे पर, नुक्कड़ पर,
दुकान पर, ढाबे पर, होटल पर
सड़क कोई होती थी बहुत
चौड़ी, विस्तृत जैसे आकाश,
फैली हुई
सड़क कोई होती थी खामोश तो
कोई गूंजती हुई
सड़क पर होती थी कई बार
कुछ पदचापों की आहटें तो
कई बार एक सुई की नोक भी
गिर जाये तो उसका शोर
बहरे कानों को भी सुने
कोई सड़क घिरी एक सुंदर
प्रकृति के नजारों से
कोई सड़क अकेली, वीरान,
तन्हा एक रेगिस्तान में बने
किसी घराने सी
सड़क चाहे हो कोई भी
कुछ न कुछ अनुभव और
सीख तो दे ही जाती है
यह भी है हमारी एक अध्यापक
जाने अनजाने जीवन के
बेहद महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी दे जाती है।