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संतोष

न किसी आसमां की तलाश करो

न ही किसी मंजिल की

एक इंच जमीन मिल जाये

अपने पांव उस पर रखने को

यह दुनिया हासिल हो जाये

अपना एक छोटा सा घर बनाकर

उसमें गुजर बसर करने को

क्या इतना काफी नहीं है

अंत में संतोष ही परम आनंद की

प्राप्ति का एक माध्यम व स्रोत है।