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शिकवे शिकायतों की फेहरिस्त

शिकवे शिकायतों की फेहरिस्त मेरी तो

मेरी जिन्दगी से भी लम्बी है और

यह सब मनगढ़ंत नहीं बल्कि

जायज है लेकिन

मेरे दिल में जो शिकायतों का एक पिटारा है

उसे लेकर मैं कहां जाऊं

कौन उन्हें सुनेगा

समय भी नहीं आजकल किसी के पास

न मुझे इसके लिए कोई दरबार सजा

दिखता है और न ही कोई राजा

गद्दी पर विराजमान है जो

मुझे ध्यानपूर्वक सुनेगा और

एक न्यायोचित फैसला सुनाते हुए

कोई उचित कार्यवाही करेगा

मैं फिर खुद तक ही सीमित हो

जाती हूं जब देखती हूं

चारों तरफ फैली हुई अव्यवस्थाओं को

अपनी जंग फिर मैं खुद लड़ती हूं

अकेली

बिना किसी की मदद या सहारे के

कितने अप्रिय वार्तालापों को

अभद्र टिप्पणियों को

अनुचित व्यवहार को

नजरअंदाज करके

हंसते हुए जीने की कला को

एक दिन सीखना ही पड़ता है

एक समस्या उत्पन्न हुई

मुझे उससे शिकायत हुई

मैंने मनन किया

मैं उसका समाधान कैसे करूं

कैसे अपना बचाव करूं

कौन सा मार्ग त्यागूं और

कौन से नये रास्ते पर फिर आगे

बढ़ जाऊं

न जाने कितने ही ऐसे फैसले

खुद के हक में लेने पड़ते हैं

समझ तो सब आता है

बिल्कुल सही तरीके से कि

क्या कुछ गलत नहीं हो रहा मेरे साथ

लेकिन किसी के हाथ में आखिरकार

यही एक हथियार खुद के बचाव के लिए

बचता है कि

किसी भी कीमत पर स्वयं की रक्षा की

जाये और

शिकवे शिकायतों की एक भरी पूरी

पोटली को दरकिनार कर

उसपर खुद ही कोई उचित कार्यवाही

करके अपने सिर पर रखे

इनके बोझ को कुछ हद तक कम किया जाये।