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विश्वासघात

विश्वासघात तो

हर पल ही

कोई न कोई करता रहता है गर

चौकन्ना न रहो तो

विश्वासघात तो मेरे साथ

मेरा खुद का शरीर,

मेरा मन,

मेरा मस्तिष्क,

मेरी आत्मा,

मेरे प्राण,

मेरा जीवन,

मेरे जीवन से जुड़ी हर एक

गतिविधि भी करती है

विश्वासघात से पर कभी किसी को टूटना नहीं चाहिए अपितु

आगे आने वाले समय के लिए

संभलना चाहिए

विश्वास आंख मूंदकर पर किसी पर

कभी करो नहीं

करो और धोखा खाओ तो

अपने कर्म के पथ से कभी डिगो नहीं 

अपने खट्टे मीठे, कटु और अनचाहे अनुभवों से 

हमेशा ही कुछ न कुछ सीखते चलो और

जीवन में जो गलतियां करी हों

उन्हें तो कम से कम कभी न

दोहराने की कसम खाओ।