वादा
होता है
निभाने के लिए
उम्र भर किसी का साथ
न छोड़ने के लिए
यह नहीं होता
किसी के शीशे का
प्यार भरा दिल
तोड़ने के लिए
प्यार में
किया हुआ वादा पर कभी
जब पूरा नहीं होता
रह जाता अधूरा
आसमान सा टूटकर फिर
गिरता जमीन पर और
टुकड़े टुकड़े
बिखर जाता
किसी के सुनहरे भविष्य का
एक सुंदर सजीला सपना
सब तरफ छा जाता फिर
अंधकार
भर जाता हर सू धुआं
खो जाता अपना ही अस्तित्व कहीं
रंगहीन हो जाता
तस्वीर का हर कोना
न सुबह के सूरज की
पहली किरण अच्छी लगती
न सांझ की ढलती बेला के
पश्चात
चांद का आसमान से
उतरकर मेरे घर के कमरे की
खिड़की तक आना
लगता है सब कोरा कोरा
खाली खाली
बेमानी
कुछ नहीं रूहानी
सब कुछ बस वीभत्स
एक शैतानी आत्मा के
साये सा तूफानी
वादा कोई करे तो
उसे दर्पण में उतारे भी
दर्पण में बन रही
छवियों को फिर
तोड़े नहीं
दुत्कारे नहीं
किसी के दिल को चोट न
पहुंचाये
कोई बात नहीं करनी हो
मुलाकात नहीं करनी हो
मंजिल प्यार की नहीं चुननी हो
तो आवाज देकर फिर
कोई पुकारे भी नहीं।