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वसंत ऋतु के आगमन पर भी

धूप ही नहीं निकलती

जिन ठंडे प्रदेशों में या

जिन स्थानों तक धूप नहीं पहुंचती

वहां वसंत ऋतु के आगमन पर भी

फूल अक्सर मुरझा जाते हैं जो

सच में दुखद है

मौसम के बदलाव से

पेड़ पौधे भी अनभिज्ञ हैं

वह अपने तय समय पर खिलना चाहते हैं लेकिन

खिल नहीं पाते

मानव जाति का प्रकृति के प्रति अत्याचार व खिलवाड़

उसे पूर्ण रूप से खुद को बदलने पर

मजबूर कर रहा है

प्रकृति उनके आचरण से,

व्यवहार से,

संवेदनशीलता की

बहुत अधिक कमी से

बेहद तनावग्रस्त है

त्रस्त है

क्षुब्ध है

वह वसंत ऋतु पर

अपने फूलों को खिलते हुए

मुस्कुराते हुए

उनके सारे रंग इस दुनिया के

लोगों को नहीं दिखा पा रही

काश यह मानव जाति

इस त्रासदी को समय रहते

समझ पाये और

प्रकृति की सुंदर छटा को

समय रहते बचा पाये ताकि

वसंत ऋतु के आगमन का स्वागत करने को आतुर

यह प्रकृति और

हम सब जन जो हैं

इसके ही अंग

खुले दिल से

अपनी बाहें पसारे

खिलते फूलों के गुलशन का

हार लिए

उसका अभिनंदन तो कर सकें।