मेरे घर में
अंधेरा था
रात जो थी
सुबह के सूरज पर
रात के चांद का पहरा था
मेरे दिल में पर
झिलमिला रही थी
रोशनी से भरी एक कंदील
मेरी जिंदगी में
कहने को तो था अंधियारा पर
मेरी नजर से कोई देखे तो
उसमें भरी थी
नूरानी रोशनी
एक कभी न डूबने वाली
सुबह के सूरज की रोशनी और
मेरी पाकीजा मोहब्बत की
रोशनी
मेरी जिंदगी तो
एक रौशन जिंदगी थी
जिसमें रोशनी का अंबार था
यह तो एक रोशनी से
लबालब भरे सूरज का गोला था
यह रोशनी का दीपक था तो
मैं उसकी लौ
यह भी रौशन और
मैं भी रौशन
भला कभी किसी ने सुना है कि
दीया और बाती
बाती और उसकी लौ
लौ और उसकी रोशनी कभी
एक दूसरे से जुदा होते हो।