रोशनी को
यह नहीं पता होता कि
वह एक रोशनी है
जुगनू को
अंधेरे का भय कभी सताता ही नहीं क्योंकि
वह खुद में एक रोशनी है
रोशनी से तो रोशन होगा ही
हर आत्मा का अक्स जब
खुदा का तू एक अंश है
खुदा का तू एक दर्पण है
खुदा का तू एक नेक बंदा है
मुड़ जा दिल के रास्ते से
गुजरते हुए और
खोल दे रोशनी का बंद दरवाजा
अपनी रूह का और
पा ले अपनी रोशन गली
रोशनी को पी ले
रोशनी में नहा ले
यह रोशनी है एक सुगंधित
सवेरे की कोई खिलती नाजुक सी
पाक कली
अंधेरा तो होगा
उसका तुझे खौफ क्यों
तेरे पास जब हैं तेरे रोशन चिराग तो
अंधकार से तू जुदा क्यों
एक स्याह काली होती जब रात
बिना सितारों की
तभी तो चमकता चांद अपनी
पुरजोर रोशनी और सुंदरता से
यह काला घुप अंधियारा न हो तो फिर
कौन पूछेगा सवेरे के उजालों को
खुद की परछाई भी बन नहीं पायेगी और
छोड़ देगी साथ गर
रोशनी के साथ उसे
थोड़ा सा साथ अंधेरे का न मिले तो
रोशनी का तो तू एक
कभी न बुझने वाला चिराग है
रोशनी का तुझमें एक अंबार है
एक सजावट के साजो सामान से
भरा द्वार है
रोशनी को कहां खोजना है
बाहर के अंधेरों में
तू तो खुद ही
खुदा का एक तोहफा
रोशनी से भरा एक पुलिंदा
एक खजाना
एक जीता जागता और
चलता फिरता आफताब है।