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रिश्ते

रिश्ते तो

आजकल मजाक बनकर रह गये हैं

मोहब्बत भी है तो

ज्यादातर एक तरफा पर

रिश्ते में तो इस वफा की रस्म को

दोनों तरफ से निभाया जाये तभी तो

यह एक खूबसूरत रिश्ते की शक्ल लेता है

प्यार का सिलसिला बस

एक तरफ से चलता रहे

दूसरी तरफ से कोई हलचल हो ही नहीं तो

यह कोई रिश्ता नहीं कहला सकता

रिश्ता किसी से जुड़े या

जुड़ा हुआ न टूटे

इसकी कोई शर्ते नहीं होती

कई बार आप हर तरह से ठीक है

फिर भी सामने वाला आपको

पसंद नहीं करता तो फिर

क्या करेंगे

खून के रिश्ते तो

आजकल पड़ चुके

बिल्कुल सफेद और ठंडे

प्यार की इसमें कहीं

दूर दूर तक कोई गर्माहट नहीं

प्यार करना भी

एक बाजार सा बन चुका है

दुकान जितनी चमकती दिखेगी

ग्राहक उसकी तरफ उतना

आकर्षित होगा

सारे दिन प्रलोभन के जाल

फैलाओ

एक माया नगरी का संसार

रचाओ

यह सब एकदम ही बनावटी

लगातार करते रह

सकते हो तो करो और

रिश्तों को बचाओ

नहीं तो

रिश्ते तो एक ठंडी बर्फ की

चादर ओढ़कर

किसी कोने में सोये पड़े हैं

पहले कोना ढूंढो,

बर्फ खोदो,

आंच जलाओ,

बर्फ पिघलाओ,

हो सके तुमसे कुछ

कर पाओ तो

सोये हुए रिश्तों को जगाओ।