मेरे दिल का फूल
मुरझा गया है
यह दोबारा कब खिलेगा
इस आस को दिल में संजोय बैठी
सदियों से कि
यह मेरे दिल की बगिया का
एकमात्र आखिरी बचा हुआ
फूल आखिरकार कब
खिलेगा
इसे जो नहीं खिलना तो
मुझे साफ साफ कह दे कि
यह नहीं खिलेगा
कोई संकेत दे दे
मुझे हर समय के एक बोझ या
एक अपराध बोध की भावना से मुक्त
कर दे
जो पाप मैंने नहीं किये
उनकी सजा भी लगता है
मुझे ही भुगतनी है
ईश्वर साक्षी है कि
मैं एक पुण्य आत्मा हूं
मेरे दिल का मुरझाया फूल
फिर वह अपने चरणों में स्वीकार करे और
मुझे दुनिया से दूर पूर्ण रूप से
दोष रहित कर दे।