जीवन का सफर है
कुछ कुछ भरा हुआ तो
थोड़ा कहीं से खाली सा भी
सुख और दुख दोनों को
चलो ऐ मन
गठरी सा सिर पर लादकर
इस जीवन की डगर पर आगे
बढ़ते हैं
सफर में जो दृश्य दिख रहे हैं
वह भी मिश्रित से हैं
इनमें से अधिकतर रंगीन हैं
थोड़े बहुत श्वेत और श्याम भी हैं
मुझे यह भीतर से रंगीन और
बाहरी आवरण से श्यामल रंग का
कर देते हैं
कहीं कोई आसपास जंगल नहीं
बस लहलहा रही हैं दूब की
छोटी छोटी मुरझायी सी फसलें
पकी हुई हैं या
अधपकी
यह जानने की कोशिश भी नहीं करी
मैंने
इसका कारण यही कि मन में
किसी बात को जानने की जिज्ञासा ही नहीं रही है
यह सफर मुझे कहां ले जायेगा
मत पूछो मुझ जैसे किसी मुसाफिर से
न दिशा का ज्ञान है
न किसी घर का कोई पता
न किसी मंजिल को हासिल करने की तलब
न जीने की और
न ही मरने की अब तो कोई
इच्छा
मैं पूर्ण रूप से तृप्त हूं
अतृप्त इच्छाओं का संसार अब
नहीं है मेरे साथ
ऐसा सब पीछे छूटता जा रहा
जीवन में कुछ रहा शेष तो
यह जीवन का एक रोमांचक
सफर ही
यह मुझे लेकर चलता रहे
मैं तो इस सफलता से ही
खुश हूं और
सच कहूं तो बहुत हर्षित महसूस
करती हूं।