मैंने तुम्हें बुलाया
पास अपने
कुछ कहने के लिए
मैं जो कहना चाहता था
वह कह न पाया
तुमने वह सुन लिया
जो मैंने कहा नहीं
दिल के लाना चाहता था तुम्हें
करीब पर
तुम दूर चली गई
इतनी दूर कि फिर कभी
तुमसे मिलना न हो सका संभव
इस जीवन में
तुमने भी शायद मुझे कभी
याद किया हो या नहीं
पता नहीं
तुमने कभी मुझसे मिलने की
कोशिश करी हो या नहीं
मालूम नहीं
तुम्हें कभी मुझसे प्यार था
या नहीं
मुझे खबर नहीं
यही एक बात तो पूछना
चाहता था मैं तुमसे
उस रोज लेकिन यह गुजारिश
मेरी जुबां तक आई नहीं
इसका नतीजा सारी उम्र फिर
भुगता कि प्यार की लहर
घर की दहलीज पर मेरी कभी
लहराई नहीं।