किसने कहा कि
मैं पापी हूं
जब मैं पापी नहीं तो
तेज आवाज में
जोर जोर से चिल्लाकर या
फिर खामोशी से
खुद को ही पापी करार करते हुए भला
यह क्यों स्वीकार करूं कि
मैं पापी हूं
मौन धारण करने का अर्थ यह नहीं कि
मैं यह स्वीकार कर लूंगी कहीं
दिल के किसी कोने में कि
मैं पापी हूं
मैंने सच में कभी कोई पाप या
बुरा कार्य नहीं किया लेकिन
बहुत से लोगों ने मेरे गुणों को
दोषों की चादर से ढककर
मुझे एक घिनौने पाप की तरह ही
इस दुनिया के समक्ष पेश किया
कोई भी बच्चा जब इस संसार में
जन्म लेता है तो
उसके चेहरे पर एक अद्भुत सी
मुस्कुराहट होती है
वह इस दुनिया से
अपने पक्ष में फैसले हों
ऐसी उम्मीद रखता है
पाप या पुण्य के टोकरे का बोझ
सिर पर उठाये
जन्म नहीं लेता फिर
क्या पाप का प्रायश्चित जो
किया भी न हो उसे बिना
बात स्वीकार करते रहना
खुद पर शर्मिंदा होते रहना
खुद से माफी मांगते रहना
सच में पापी हैं
वह तो कभी किसी की
पकड़ में आसानी से आते ही नहीं
अधिकतर को अपने किये पर
कभी कोई पश्चाताप नहीं होता
गर होता तो यकीन मानो वह कोई पाप करता ही नहीं
किसी जुर्म को अंजाम देता ही नहीं।