मैं इस धरती पर
पैदा क्यों हुई
मैं क्या
अन्य भी हो रहे हैं
मैं बीमार क्यों हुई
मेरा स्वास्थ्य क्यों गिरा
मैं अस्पताल में भर्ती क्यों हुई
मेरी सेवा ठीक प्रकार से
क्यों नहीं हुई
मैं मर क्यों गई
यह मेरे साथ ही नहीं बल्कि
हर किसी के साथ घटित
हो रहा है
मैं बेरोजगार हूं
मुझे व्यवसाय में भी
हानि हुई
मेरा विवाह नहीं हुआ
मुझे वह सब प्राप्त नहीं हुआ
जिसकी मुझे लालसा थी
जो मैंने चाहा
वही नहीं हुआ
यह सोच तो नकारात्मक है
मेरे साथ जो कुछ हो रहा है
क्या वह आम जन के साथ
व्यापक रूप से नहीं हो रहा
हो रहा है
बहुत अच्छे से हो रहा
मुझसे अधिक सुखी तो कम
लोग हैं लेकिन
मुझसे ज्यादा परेशान
एक बड़ी तादाद में हैं
हर कार्य किसी भी व्यक्ति की
इच्छानुसार इस जीवन में
शायद ही कभी संभव हो लेकिन
जीवन में जो मिला
उसका प्रभु को धन्यवाद करें
दूसरों के जीवन के अनुभवों से
सीखे और आगे बढ़े
भीड़ का एक अपना योगदान
देता कोई महत्वपूर्ण हिस्सा
बनने की कोशिश करें
सबको साथ लेकर चले
अपना काम न बनने पर
दूसरों के काम न बिगाड़े
अपने बाग के फूल नहीं
खिले तो
दूसरों के बाग में खिले फूलों को
देखकर खुश होने की कला सीखे
आनंदित हों
प्रसन्नचित्त रहें
यही जीवन का सार है
मैं से ध्यान हटाकर
हम सब एक हैं की
धारणा को मन में कहीं गहरे
उतारें।