काश!
एक गहरा नीला समुन्दर हो और
उसमें रहती मैं ही एकमात्र
नीली मछली हों
कोई तो दुनिया हो जो
मेरी अपनी हो
जहां मेरा राज चलता हो
हर किसी पर बस चलता हो
सब कुछ मेरे नियंत्रण में हो
मैं सांस ले सकूं अपनी मर्जी से
जी सकूं सुकून के कुछ पल
अपने मन मुताबिक
मछली होकर भी
नीले समुन्दर को नीला आकाश
समझूं और
खुद को उसमें विचरती एक
चिड़िया
कभी मैं मछली सी तैरुं तो
कभी एक पंछी सी उडूं
मेरी इच्छा
कभी जल की लहरों से
खेलूं
कभी समुन्दर के किनारे
शांत बैठ जाऊं
यह भी मेरे दिल की एक
तमन्ना
मेरी एक आरजू यह भी है कि
मैं नीले गहरे समुन्दर को
उसकी गहराई सा ही प्यार करूं
उसे नील वर्ण का न मानकर
कहीं काली रात की स्याही सा
मानूं तो वह कहीं
प्यार करते करते मुझसे रूठ तो
नहीं जायेगा।