मेरी दिल की कलम चलती रहे प्रभु की वाणी को सुनकर


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मैं कल जब छोटी थी और

आज जब बड़ी हूं तो

बस इतना चाहती थी और

मेरी यही अंतिम इच्छा है कि

मरते दम तक

मैं एक अच्छी इंसान

बनी रहूं और

एक बहुत ही साधारण और

सामान्य जीवन

सबके साथ मिलकर

प्रेमपूर्वक जी सकूं

दिल में असीम प्रेम भरा है तो

यह संपूर्ण जगत अपना ही घर

लगता है और

इसका हर प्राणी

अपने जिगर का टुकड़ा

कहीं कोई भेदभाव नहीं

किसी के प्रति द्वेष नहीं

कुछ खास पाने की इच्छा

नहीं

मिल जाये तो ठीक

नहीं मिले तो और बेहतर

किसी से कोई होड़ नहीं

जलन नहीं

प्रतिस्पर्द्धा नहीं

जो कुछ इस जीवन में मिले तो वह

प्रभु इच्छा

प्रभु का प्रसाद

प्रभु की मेहर

प्रभु का आशीष

प्रभु का आशीर्वाद

प्रभु से बस यही प्रार्थना है कि

मेरे साथ सदैव एक साये की तरह बने रहें मुझे क्रियाशील रखें

प्रयत्नशील रखें

किसी भी स्तर पर

निष्क्रिय न करें

मैं जो चाहूं वह न पाऊं

प्रभु जो चाहे

मुझे माध्यम बनाकर

मेरे द्वारा वह कार्य करवायें

मेरी दिल की कलम चलती

रहे प्रभु की वाणी को

सुनकर

प्रभु मन के मंदिर में

सजे रहें और

आखिर चाहिए भी क्या

  1. इस नश्वर संसार में।

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