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मेरी कलम की स्याही कभी सूखे नहीं

कोई जीते जी तो किसी को

पूछता नहीं

मरने के बाद क्या खाक पूछेगा

यह एक कड़वी सच्चाई है

तो क्या अच्छा हो कि

जीवन रहते हम यह सीख लें कि

खुद का समय व्यर्थ की बातों में न

गंवाते हुए कुछ अर्थपूर्ण कार्य करने में अपनी ऊर्जा लगायें और

मरणोपरांत किसी क्षेत्र में किये अपने योगदान के लिए याद किये जायें

किसी के साथ जुड़े कुछ लोग ही होते हैं जो

उसको थोड़ा बहुत जानते हैं और

थोड़ा आगे पीछे एक एक करके सभी इस संसार से चले जाते हैं

किसी के इस संसार से प्रस्थान

करने के पश्चात

कुछ शेष बचता है तो

सिर्फ और सिर्फ

उसका किया कोई सार्थक कार्य

मैं अपने दिल की परतें

खोलूं तो पहली से लेकर

आखिरी सांस तक बस

यही कामना करती हूं कि

मेरी कलम की स्याही कभी

सूखे नहीं

यह ताउम्र चलती रहे

एक पल के लिए भी किसी महबूबा सी मुझसे रूठे नहीं

ऐसा कभी हुआ तो मेरा दिल

एक दर्पण सा टूटकर चारों खाने चित्त चकनाचूर होकर जर्रा जर्रा

बिखर जायेगा

न मेरे हाथ कुछ आयेगा

न ही मेरे माध्यम से इस

दुनिया का कुछ मेरे द्वारा

कही गयी रूहानी बातों से

भला हो पायेगा।