मेरा भाई
कभी मीठा
कभी नमकीन,
कभी अच्छा
कभी बुरा,
कभी सच्चा
कभी झूठा,
कभी करीब
कभी दूर,
कभी जीताता
कभी हराता,
यह सब पर है
एक बचपन के खेल सा ही
इसका कारण कि
उम्र में बेशक दोनों बड़े हैं लेकिन
मन से अभी भी
हम दोनों भाई बहन
बच्चे हैं, सच्चे हैं,
अकल में जरा कच्चे हैं
नहीं है कहीं से थोड़े से भी
दुनियादार, समझदार या
चालाक हम
चलो जैसे भी हैं
हंसते खेलते, लड़ते झगड़ते,
एक दूसरे को छेड़ते,
कभी खिलखिलाते तो कभी
रोते बिलखते
जैसे भी बिता रहे अपना जीवन।