तन से चाहे कमजोर हो जाऊं लेकिन
हे प्रभु
मुझ पर इतनी कृपा बनाये रखना कि
मुझे मन से कभी न कमजोर करना
मैं कभी पराजित महसूस न करूं
मेरे मन मस्तिष्क को मजबूत
बनाये रखना
मेरा अपने जीवन पर कोई नियन्त्रण
नहीं है
मैं तेरे इशारे पर नाचती
एक कठपुतली हूं
मेरे जीवन की डोर तेरे हाथों में है
मैं जैसा चाहूं वैसा
कदापि न होगा
तू जो चाहेगा
देखा जाये तो
इसमें अधिक क्या सोचना
वैसा ही होगा और फिर
हे प्रभु
मैं तो तेरी बालक हूं और
तू मेरा परम पिता
तू जो कुछ सोचेगा, विचारेगा,
करेगा
वह मेरे लिए अच्छा और
हितकर ही होगा
मुझे जीवन में कोई लालच
नहीं है
बस यही इच्छा है कि
मेरे जीवन को सामान्य गति से
चलाते रहना
अधिक की इच्छा नहीं लेकिन
तंगहाल भी मत रखना
हे प्रभु मेरी आपसे विनती है कि
मेरा ख्याल रखना।