मिट्टी का एक दीया हूं मैं
अंततः मिट्टी में ही मिलना है
मिट्टी में मिलने से पहले पर
खुद के प्रयासों से ही
कहीं खुद को प्रज्वलित करना है
यह भोर की रोशनी भी
सांझ होते होते
शनै: शनै: लुप्त होने लगती है
मिट्टी के इस दीये को भी
एक अपनी निश्चित अवधि पूर्ण होने के पश्चात बुझना पड़ेगा
मिट्टी से बना था तो
आखिरकार उसे मिट्टी में ही मिलना पड़ेगा।