मन भीतर से
खुश होता है जब
खुशी के रंग
चारों तरफ बिखरते हैं तब
मन नाचता है
झूमता है
मन ही मन
गुनगुनाता है तब
हर तरफ हंसी के फव्वारे होते हैं
सखियों के, फूलों के, कलियों के
दिलकश नजारे होते हैं
गम एक भाप सा बनकर
न जाने कहां उड़ जाता है
रह जाता है पानी
मीठी शक्कर घुला
जिसकी घूंट भरते ही फिर
चाशनी लिपटी
रस भरी फुहारों की बारिश होती है।