प्रभु मैं तेरी शरण में हूं
अब तो मुझे तेरा ही आसरा
यूं तो बंधा है मेरा दिल
अभी भी न जाने कितने
मोह माया के बंधनों में लेकिन
टूटते जा रहे जो एक एक करके
यह सारे रिश्ते तो
अंत में यह सिर अनायास ही
झुक रहा तेरे चरणों में
प्रभु तुम ही मुझे कोई रास्ता
दिखाओ
मेरी समस्याओं का
कोई उचित हल बताओ
तुम मेरे माता
मेरे पिता
मेरे सखा
मेरे रक्षक
मेरे पालनहार
सब कुछ बन जाओ
ऐसा चमत्कार कर दो
प्रभु तो मुझे
इस संसार में किसी दूसरे की
लालसा भला क्यों होगी
तुम अपनी कृपा मुझ पर
बरसाते रहना
मैं तृप्त होंगी तो फिर
मुझे इस दुनिया की
किसी भी वस्तु की प्यास
क्यों होगी।