प्रचंड गर्मी है
ऐसे में हरियाली ही याद आती है
ठंडी ठंडी हवा चले
पेड़ों के हरे हरे पत्ते हिलें
हरे हरे तोते भी
लाल मिर्ची सी चोंच वाले
हरे कोमल पत्तों से ही
हरे भरे पेड़ के पत्तों को चीरते हुए कहीं से निकलें और
खुले आसमान में
इधर से उधर
उधर से इधर
बहती हवाओं संग डोलें
हरी हरी तरकारी
हरी हरी दूब
हरे हरे शरबत
हरे हरे ही वस्त्र
हरी भरी वादियां
हरी हरी फिजाओं की चितवन
चारों दिशाओं में हरा हरा जो दिखे
आंखों को
तन को और
मन को कितनी ठंडक देता है
रास्ते भी भरे हों
हरियाली से
पेड़ मिलें घनेरे
दे छांव
तन मुरझाये जब सूरज की गर्म लाली से
तन पर भी मल दे कोई
चंदन का लेप
जिसमें मिली हों धनिये की हरी पत्तियां
हाथों की हथेलियों पर
पांव के तलवों में
सिर के केशों में
सिलबट्टे पर पिसी हुई हरी मेहंदी के पत्तों का
तरी देता ठंडा ठंडा
लेप
हरी हरी दूब पर नंगे पांव चलना
हरे जल का समुन्दर या दरिये का किनारा
हरि का ही स्मरण
हरि की ही सेवा
हरि का ही सब यह करिश्मा की
जीवन में भी घटित हो सब
हरा हरा
कहीं न हो अंधेरा
हर सू हो प्रकाश, हरियाली
और एक नया सवेरा।