प्यार के पल
कभी कभी
किसी की जिंदगी से
एक धुएं के गुबार से
कहीं खो भी जाते हैं लेकिन
बदलते हुए किसी खुशगवार
मौसम की तरह
बारिश की बौछार से ही कहीं
एकाएक
दिल की छत पर
मन के आंगन में
छम से बरस जाते हैं
जब कभी जीवन में छा जाता है
अंधेरा और
हो जाता दिल मायूस और
तन लगता बिना आत्मा के
एक निर्जीव साये सा ही
तब बीते हुए प्यार के पल
अनायास ही
यादों के पटल पर उभर
आते हैं और
मन की मुंडेर पर
बैठकर
एक मोर से ही पंख फैलाकर
बिन बारिश के
सावन के बरसने का
इंतजार करते
छम छमा छम खूब
नाचते हैं।