प्यार का सागर
इतना गहरा और विशाल है कि
जब जब उस प्यार को याद करूं
दिल भर आता है पर
आंसू छलक नहीं पाते
अभी भी मन मानने को तैयार नहीं कि
जिससे प्यार था वह अब
हमारे बीच नहीं
वह नहीं पर प्यार तो है
अब जिसके दिल में प्यार हो भरा
उसका दिल तो संवेदना और
तड़प से भी होता है भरा
यह सागर तो होता नहीं
कभी खाली
मन मस्तिष्क के तट से
पर टकराती रहती इसकी
लहरें जब तब ढेर सारी
आंसू सूख गये लेकिन
दिल में धुआं सा भरा है
दर्द बहुत है और
घुटन भी
न जीने की अब कोई इच्छा है
न मरने का कोई गम
मन की स्थिति
अजीब सी है
बस किसी के प्यार में डूबी
उसे हरदम ही याद करती
प्यार का आंसू जो सूख
गया है
काश वह कहीं एक बूंद
छलक जाये तो
मैं उसमें तर जाऊं और
कहीं तो थोड़ा उबर पाऊं
दर्द से राहत महसूस करूं
थोड़ा तो कहीं इस प्यार के
भंवर से पार किसी
किनारे
जहां कुछ पल प्यार न हो
लग पाऊं।