प्यार का बंधन
एक खनकते कंगन सा
किसी की कलाई पर
बंधता तभी है जब
दिलों में प्यार हो
प्यार एक तरफा हो तो
यह प्रेम का धागा
कमजोर पड़ जाता है और
टूट जाता है
प्यार का रिश्ता
एक लंबे समय तक
टिकता तभी है जब
दो दिलों में बराबर का
प्यार हो
एक दूसरे के प्रति आदर हो
समर्पण भाव हो
मीठी बातें हो
दो चार पल के लिए
फिर रिश्तों में एक लंबी दूरी
यह प्यार के पौधे को
पनपाने के लिए पर्याप्त नहीं
प्यार का एक गहरा सागर
जब तक नहीं होगा दिल में
तब तक प्रेम की नैया
इसके जल पर तैर कर पार नहीं
लग पायेगी
प्यार का बंधन दो दिलों के
बीच कसेगा तभी जब
दोनों दिलों में प्यार का
असीम भंडार
एक प्रभु के अलौकिक
रूप सा ही विराजमान हो
पूर्ण सत्यता के साथ
पूर्ण विश्वास के साथ और
पूर्ण त्याग के साथ।