कॉलोनी के पार्क में तो नहीं लेकिन
उसके पास से ही गुजरती किसी सड़क से
किसी परिचित के
घर की बालकनी से
किसी दुकान से
उसमें होती गतिविधियों को देखना
एक सुखद उसकी हरियाली जैसा ही
अहसास देता है
सुबह और शाम जब मेरी सोसाइटी का
बैक गेट खुलता है एक निश्चित
अवधि के लिए और
मैं दूध, फल या सब्जी लेने
गुजरती हूं इसी पार्क से होकर
तो जीवन की सच्चाई से रूबरू
खुद को कर पाती हूं
यहां बचपन की शरारतें दिखती हैं
तो यौवन के प्रेमालाप भी
उम्र का आखिरी पड़ाव तो
स्वास्थ्य के प्रति सजग एक
जागरूक समाज का वर्ग भी
कुछ अराजक तत्व भी यहां
आसानी से दिख जायेंगे
पार्क के रास्ते से होकर
गुजरो तो
फूलों की भीनी भीनी सुगंध
मन के भीतर तक प्रवेश कर पाती है
लेकिन
एक स्वतंत्र पंछी को
खुले आकाश में विचरण के लिए
सावधानी भी बरतने की
आवश्यकता है
यह सबक भी इस पार्क की
पृष्ठभूमि समझाती है
पार्क वही होता है लेकिन
यहां हर रोज नये दृश्य
अवतरित होंगे नये अनुभवों के
साथ
यह जीवन के टेढ़े मेढ़े रास्तों से
होकर आओ तो
कुछ देर आराम से बैठने का
एक पड़ाव है
जीवन के कई दृश्य दिखाता
एक चलचित्र है
संकुचित
सिमटा हुआ
बेशक आसमान सा विस्तृत नहीं।