रोबर्ट फ्रॉस्ट द्वारा रचित कविता की
यह पंक्तियां कि
गहन सघन मनमोहन वन तरु मुझको आज बुलाते हैं
किन्तु किये जो वादे मैंने याद मुझे वो आते हैं
अभी कहां आराम बड़ा, यह मूक निमंत्रण छलना है
अरे अभी सोने से पहले मुझको मीलों चलना है
अरे अभी तो मीलों मुझको, मीलों मुझको चलना है
से मैं अत्यधिक प्रभावित हूं
यही वह इस कविता की चंद लाइने हैं जो
दिन रात मेरे मन मस्तिष्क में
एक आसमान में चमकती बिजली की तरह
कौंधती रहती हैं
मुझे प्रेरित करती हैं
जिन्दगी में बिना समय नष्ट किये
कुछ महान कार्य करने का
हौसला देती हैं
इनके अलावा दोस्तों की बात
जो चले तो
अच्छे दोस्त तो हमेशा ही
एक अप्रतिम प्रेरणास्रोत होते हैं
वह चेहरे की मुस्कुराहट पर नहीं
जाते बल्कि
मन में दबे भावों को पढ़ लेने की
ताकत रखते हैं
मेरे एक दोस्त ने अभी अभी जो
मुझे कुछ कवितायें मेरे ऊपर
लिख कर भेजी तो
सच मानिये
जीवन की इस कठिन घड़ी में
उसने मेरे दर्द भरे रिसते घाव
पर मरहम का काम किया
जिन्दगी में जब हर कोई ठुकरा
देता है तो
सच्चे दोस्त ही
आगे बढ़कर हाथ थामते हैं
बुझते दीये में मोहब्बत का तेल
डालकर उसे जलाते हैं
परिवार से बढ़कर होते हैं
दोस्त
मां बाप का साया जब उठ जाता है
सिर से तो
यह बचपन के दोस्त ही होते हैं जो
उम्र के आखिरी पड़ाव तक साथ
निभाते हैं
दोस्तों का जिसे साथ न मिला
प्यार न मिला
उसने इस जिन्दगी को फिर क्या
खाक जिया।