परिंदे खुले आसमान में उड़ते अच्छे लगते हैं


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किसी दूसरे को

खुशी देकर गर

मन प्रसन्नता से

भर उठे तो

इसे सही अर्थ में

खुश होना कहते हैं

परिंदे खुले आसमान में उड़ते

अच्छे लगते हैं

पिंजरे में कैद करके उनकी

आजादी पर रोक लगाना

मानवता का परिचय देना

नहीं है

यह अन्याय है

पाप है

सही कृत्य नहीं है

परिंदों के पंख होते ही

इसीलिए हैं कि

वह उड़े

उन्हें सिकोड़कर या काटकर

उन्हें एक स्थान पर

बिठा देना

उनके साथ अन्याय है

और कुछ नहीं

परिंदे कर दिये हों किसी ने

बंद किसी पिंजरे में और

उन्हें पिंजरा खोलकर एक एक करके उड़ा देना

एक आत्मिक संतोष प्रदान

करता है

न जाने कैसे होते हैं वह

लोग जो

मानव होते हुए भी

न जाने इस तरह के

कितने अमानवीय कार्यों को

अंजाम देते रहते हैं।


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