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परवाज के पर

तुमको दिखते होंगे एक से पर

हम तो एक दूसरे से अलग हैं

मन के फूल पर मंडराते पर

जो हमारे भंवरे

उनकी गुनगुनाहट के

सुर के खिलते परवाज के पर

कोमल से तो

पर कहीं एक हैं।