आशा निराशा
निराशा आशा
जीवन भर यह चक्र चलता ही रहता है
कभी कहीं खत्म होने का नाम ही नहीं लेता
नित नई आशा के दीये की ज्योत
मन के आले में न जलाऊं
खुद को सोते से न जगाऊं तो
जीवन के पथ पर तत्परता से आगे
कैसे कदम बढ़ाऊं
एक कली फूल बनती है
भरपूर खिलती है फिर
एक निश्चित समय सीमा के पश्चात
मुरझा जाती है लेकिन
जाते जाते नई कलियों को खिलने का
आमंत्रण दे जाती है
मरते मरते
इस दुनिया से विदा होते हुए भी
उसने दूसरों को प्रेरित
करना नहीं छोड़ा
उनकी नई आशाओं का मार्ग
प्रशस्त करना नहीं त्यागा
मेरी आशा मेरे द्वारा
पूर्ण न भी हो
किसी दूसरे के माध्यम से हो पर
आवश्यक है कि हो
नई नई आशाओं से भरी तो
हर रोज एक राह बनाओ और
उस पर खुद न भी चल पाओ तो
दूसरों को चलाओ
सबको चलाओ
इस दुनिया को चलाओ
और सुबह, शाम, रात
हर क्षण
आशा की
उज्जवल और सुखदायी किरणें
चारों दिशाओं में फैलाओ।