कितना भी किसी से प्रेम कर लो
एक दिन पर जब वह हमें छोड़ देता है तो
हमें भी उसे न चाहते हुए भी
एक धुंधलाते पद चिह्नों की तरह ही
धुएं की लकीरों की कैद में
अपने अतीत की दूर बसी
राहों में कहीं अटकी यादों की
तरह भुलाना ही पड़ता है
राहें वही होती हैं
कई बार वह बदल भी जाती हैं
ऐसा भी होता है कि
हम उम्र भर कुछ गिनी चुनी
राहों से होकर गुजरते रहते हैं और
ऐसा भी मुमकिन है कि
एक बार जिस राह से होकर गुजरे
उस पर कभी लौटकर आना ही न हो
चाहे जो भी हो लेकिन
पद चिह्न हमारे चाहे
राहों के हों या
हमारी यादों के या
हमारी यादों की राहों के
एक बार वहां से जो निकल गये और
आगे बढ़ गये तो
समय के साथ
आहिस्ता आहिस्ता धुंधले पड़ ही
जाते हैं
आज की तारीख में
कल हमारा कैसे गुजरा था
हम यह भी बारीकी से विस्तारपूर्वक नहीं
बता सकते तो
परसों, तरसों, नरसों या हमारा
अतीत का हर एक दिन
हर एक पल कैसे गुजरा था
भला कैसे बता सकते हैं
जो बातें समय के आईने में
दिल को छूकर गुजरती हैं
वही यादों के अक्स में बस
जाती हैं
बाकी तो धुंधली पड़ती जाती हैं और
मन के आसमान से काले सफेद
बादलों की तरह ही
धीरे धीरे धुंधलाती हुई
कहीं खो जाती हैं
धुंधलाते पद चिह्न भी
मिट जाते हैं फिर
पूर्णतया
कभी जिन्दगी के आखिरी
पड़ाव तक पहुंचते या
फिर जिन्दगी के न रहते।