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दुख की परछाई को

दर्द छलकता हो जो आंखों से तो

लबों से मुस्कुरा दो

जीने की कला सीखते रहो उम्र भर

हर किसी से और

दुख के घर में रहते हुए भी

दुख की परछाई को छड़ी मारकर

अपने पास से भगा दो।