एक उत्तर दिशा की तरफ जा रहा है
दूसरा दक्षिण
तीसरा पूरब
चौथा पश्चिम
इन सबकी राहें कभी कहां मिलेंगी
कभी एक बिंदु से चारों ने चारों दिशाओं की तरफ
प्रस्थान किया था
कभी आरंभ में यह सब
एक साथ रहे होंगे लेकिन
सच तो यह है कि
यह साथ होते हुए भी शायद कभी
साथ नहीं थे
कल भी दिलों के मध्य कहीं दूरी थी
आज भी है
कल से अधिक है
आने वाले कल में और
बढ़ेगी
दिल की दूरियों को
पाटने का कोई यत्न
समय रहते न करें तो
ऐसे रिश्तों का यही
अंजाम होता है
यह रिश्ते आरम्भ से लेकर अंत तक
बस नाम के रिश्ते होते हैं
इससे अधिक कुछ नहीं
ऐसे रिश्तों से उम्मीद बांधना
खुद को धोखे में रखने जैसा है।