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दस्तक

क्या कभी यह जानने की

तुमने कोशिश करी है कि

तुम्हारे दिल पर आज किसने दस्तक दी  

कल किसने दी थी

इतने सालों से कौन दे रहा है

कौन सा व्यक्ति तुम्हें प्रिय है जो सबसे

अधिक दस्तक पिछले कई दशकों से देता चला

आ रहा है

अब वह जीवित है या मृत

जब वह जीवित था तब भी क्या

अपनी गैरमौजूदगी में तुम्हें याद आता था

तुम्हारे दिल के दरवाजे को खटखटाता था

अब जीवित नहीं है तो

क्या अब भी देता है दस्तक बदस्तूर

क्या अंतर है पहले और अब की

दस्तक में

जीवन तो तुम्हारा बदल गया है

उसके बिना

क्या उसका दस्तक देना तुम्हें

अच्छा लगता है

सुहाता है

मन को भाता है

दिल का दरवाजा खोलो तो

दिल के भीतर तो वह है पर

आंखों से जो कहीं दिख नहीं पाता है तो

यह दृश्य जिसमें

वह अदृश्य है तुम्हें कितना

विचलित करता है

क्या तुम्हारा दिल चाहता है कि

यह दस्तक देने का सिलसिला

थम जाये

वह तुम्हें छोड़कर बहुत दूर

चला जाये या

इतना करीब आकर तुम्हारे

रोम रोम में इस कदर समा

जाये कि

दिल के दरवाजे पर

दस्तक देने की फिर कोई

जरूरत ही न पड़े।