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तेरे बिना इस सृष्टि का हर कण अधूरा

प्रेम की 

एक जीती जागती मूरत है 

तू ऐ स्त्री, 

तेरे बिना 

इस सृष्टि का 

हर कण अधूरा, 

सूना और 

बेजान है।