in

तुम सब एक माला के एक समान से मोती

यह अपने हाथों में

भिक्षा पात्र लेकर कहां जा रहे हो

ऐ बंधुओं जबकि

तुमने तो अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया है

अपना बहुमूल्य जीवन और समय

सब कुछ दान कर दिया है

खुद को धर्म के मार्ग पर चलने हेतु 

भगवान के चरणों में समर्पित कर दिया है 

तुम सब क्या पाना चाहते हो

इस पल-पल बदलते जीवन से

तुम खुश हो या दुखी

तुम भीतर से भरे हो या हो खाली

तुमने कुछ पाया है सब कुछ खोकर या

तुम बस किसी बिना मंजिल की

यात्रा पर निकले हो

तुम सब भिक्षु एक जैसे दिखते हो

तुम सब एक माला के ही

एक समान से मोती दिखते हो

तुम हो एक स्वर्ण आभूषण से

तुम कोई असाधारण मानव से प्रतीत होते हो।