यह कौन सा है लोक
यह मैं अपनी ख्वाबों की मंजिल
तलाशते हुए किस जगह आ
गई हूं
यह कोई रास्ता है या
है कोई मंजिल
यहां सब कुछ बहुत सुंदर है लेकिन
मैं विस्मित हूं और
खौफजदा भी
ऐसा मंजर पहले जो कभी
सपनों में भी कहां देखा है
यह एक कल्पनाओं का ही
कोई लोक लग रहा है लेकिन
मेरी कल्पनाओं के परे
यहां इस कायनात के सारे रंग
एक ही स्थान पर जैसे
सिमट से गये हैं
मैं यह भी समझ नहीं पा रही कि
मैं जाग रही हूं या
सो रही हूं
यह सब कुछ जो मेरी आंखों के
सामने है
यह कोई हकीकत है या
एक स्वप्न मात्र
तुम्हारा जाना भी तो मुझे
कभी जाने जैसा नहीं लगा
तुम मिल जाओ मुझे
इस रहस्यमयी लोक में तो
मैं खुश हो जाऊं और
मेरे जीवन की यात्रा
इस अलौकिक स्थान तक
पहुंच कर आत्मिक
प्रसन्नता पा ले।