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तुम बिन

तुम बिन

यह जीवन एक कोरे कागज सा

रंगहीन और बेजान सा

तुम बिन

सब शून्य

सब नीरस

तुम बिन

कहीं कोई रंग नहीं

कहीं कोई सुर नहीं

कहीं कोई रस नहीं

तुम बिन

यह जिन्दगी एक वीरान जंगल सी

मैं एक प्यासी कुएं सी

मेरी आत्मा एक तड़पती सिहरन सी

तुम बिन

यह जग सूना

घर बेरौनक

बेसुरा सा हर साज का  

हर एक कोना

तुम बिन

मेरा जीवन जीवंत नहीं

बिना सांसों की लय के

एक मृत्यु शय्या पर पड़े

किसी मरणासन्न व्यक्ति सा ही मृत।