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तुम बताना अपने मन की व्यथा

यह तो तुम्हारे खेलने की उम्र है

हंसने की उम्र है

मुस्कुराकर खिलखिलाने की उम्र है

ऐसे में आज तुम

उदास क्यों हो

मायूस क्यों हो

रो क्यों रहे हो

किसी ने कुछ कह दिया क्या

खामोश हो

कुछ बता भी नहीं रहे

नाराज से लग रहे हो

कुछ तनाव तो

कुछ असमंजस की स्थिति में

लग रहे हो

चलो कुछ देर पहले

मेरे सीने से लिपटकर

मेरे कंधे पर अपना सिर रखकर

अपनी बाजुओं में मुझे कसकर

तुम शांत हो जाओ फिर

बताना अपने मन की व्यथा

अपने दिल की कहानी

अपने दिनभर की उलझनें

इस बीच तुम थकान के कारण

सो जाओ तो बेशक सो जाना

सोकर जब उठो तरोताजा होकर तो

फिर किस बात को लेकर

तुम हो गये थे दुखी

वह सब अपनी पीड़ा तुम मुझे दिल खोलकर

बताना।