मैं तुम्हारे बिना अधूरी हूं
यह एक सार्वभौमिक सत्य है
तुम्हारे से मेरा संबंध
प्रेम की एक पराकाष्ठा है जिसमें
मुझे ईश्वर की प्राप्ति का अहसास होता है
मैं पूर्ण रूप से तुम्हारे लिए समर्पित हूं
तुम कोई जलाशय हो तो मैं उसमें
तुम्हारे संग रह रही एक मछली
जल से पृथक होते ही मछली
तड़प तड़प कर
अपने जीवन से हाथ धो बैठती है और
मृत्यु को प्राप्त करती है
मेरी अवस्था भी ठीक उस मछली सी ही है
तुम्हारे बिना मैं एक बंजर भूमि का
टुकड़ा मात्र हूं
तुम दूर सही लेकिन चारों तरफ
एक फैले आसमान की तरह ही
मेरे सिर पर बने रहना
तुम्हें मैं किसी भी कोने में
खड़े होकर देख पाऊं
महसूस कर पाऊं
तुम्हें अपने मन की भीतरी तहों में
कहीं उतार पाऊं
मैं इतने से ही संतोष कर लूंगी
तुम्हें बिना कोई कष्ट दिये
इस तरह से हर क्षण पाना ही मुझे
प्रेम प्राप्ति का एक सर्वोत्तम मार्ग
लगा।