तुम्हारी गैरमौजूदगी में
घर के कमरों से
उसकी हर दीवार से
उसके हर सामान से
तुम्हारे प्यार की खुशबू आती है और
मेरे दिल को
भर भर आंसू रुलाती है
तुम अपने घर की बगिया के
सबसे प्यारे फूल थे
मैंने तुम्हें कभी तोड़ा नहीं
तुम इतने नाजुक थे
तुम इतने कोमल थे
तुम इतने मृदु स्वभाव के थे कि
अपने कठोर हाथों से तुम्हें कभी
मैंने छूने की चेष्टा भी नहीं करी
जानती थी कि तुम ऐसा करने पर
टूट कर बिखर जाओगे
मैं तुम्हें दूर से ही निहारती थी
तुम्हारी सुंदरता का बखान
करती थी
तुम्हारे गुणों को सराहती थी
एक दिन अचानक
न जाने ऐसा क्या हुआ
एक हादसे सा कि
तुम कहीं दिखे नहीं
फिर कभी लौटकर नहीं आये
मुझसे कभी मिले नहीं
तुम्हारे प्यार की खुशबू
तुम्हारे घर के
तुम्हारे घर की बगिया के
तुम्हारे अपने निवास स्थान के
कोने कोने में रची बसी है
वह तुम्हारे लौटने का इंतजार
आज भी करती है
काश ऐसा मुमकिन हो पाये
और तुम्हारे वापस आने से
अपनी अपूर्ण खुशबू में
समाने से
तुम्हारे प्यार की
खुशबू तुम्हें पाकर पूर्ण हो पाये
तुम उसमें जज्ब हो पाओ और
खुद में समाहित होकर
खुद को भी कहीं प्राप्त कर
पाओ।