तुम्हारी आंखों में
मुझे मोहब्बत का एक जहां दिखता है
खुदा का एक मकान दिखता है
एक ठहरा हुआ लम्हा दिखता है
एक बहता हुआ लहरें उछालता दरिया दिखता है
एक सागर का किनारा दिखता है
एक रेत का टीला दिखता है
एक गुलिस्तान का माली दिखता है
एक रूह की कैद में
भटकता सा कोई फकीर दिखता है
एक इबादत का जलता दीया दिखता है
एक नूर के मोती का महल दिखता है
एक बहता हुआ काजल का
झरना दिखता है
एक हरा भरा जंगल
एक बंद गली में गूंजता किसी सपने का
आसमान दिखता है
तुम्हारी आंखों में
मुझे मेरे दिल का दर्पण
दिखता है
जिसमें मुझे सब कुछ साफ
दिखता है
अपनी आंखों से भी कहीं ज्यादा
साफ
खुद से अधिक तुम पर जो है विश्वास
वह दिखता है
वह झलकता है
वह तुम्हारी आंखों से बरबस ही टपकता है।