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जीवन के अंतिम चरण में

मैं जिंदा हूं

इस समय तो पर

मेरे जीने की कोई इच्छा नहीं

किंतु मैं मरना भी नहीं चाहती

जो है

वह ठीक है और

उसे स्वीकार भी करना चाहिए

इच्छाओं से ऊपर उठकर

जीना चाहिए

उनका इस जीवन के पथ पर

किसी न किसी मोड़ पर तो

अंत होना ही चाहिए

जीवन में प्राथमिकताओं के

आधार पर जो कुछ हो

अति आवश्यक

बस वही कार्य करें

जो इच्छायें केवल  

स्वार्थ पूर्ति के लिए हों

अहंकार की संतुष्टि मात्र के लिए हों

अपने पैसे, पद, गरिमा, वैभव, ताकत, आदि की प्रदर्शनी

करने की उद्देश्यपूर्ति करती हों

सपनों को पूरा न करती हों

किसी मंजिल को न पाती हों

मनोरंजन का एक साधन भर हों

वह अर्थहीन हैं

उनका कोई महत्व नहीं होना चाहिए

इच्छा करें तो ऐसी करें जिससे

जीवन में उन्नति हो

कोई सुधार हो

गुणवत्ता आये

जीवन के अंतिम चरण में

प्रभु को पाने की इच्छा करें

जीवन भर अपने सपनों को

साकार करने के पश्चात

इस इच्छाशक्ति से ही जीवन

सफल होगा

यही जीवन को सुचारू रूप से

चलाने का एक महामंत्र है।