यह केवल एक भ्रम है कि
मंजिल करीब है
चलता चल ऐ मुसाफिर
तेरी मंजिल है एक आकाश
तेरा घर एक सूरज
तेरा पड़ाव उसका एक रंग बिरंगी आंचल सा
शामियाना
जो अभी तेरे करीब नहीं
तुझसे बहुत दूर है
तू तो है
एक पानी पर तैरती नैया कोई
जल की लहरों संग बहती परछाई कोई
जीवन भर चलते रहना ही तेरी नियति
बीच रास्ते में कहीं कोई ठहराव नहीं
जल तरंग का यह साज ही बजा
तेरे हाथ में इससे अधिक कोई सामान नहीं
तेरे सपनों की उड़ान है ऊंची पर
उसको पाने के लिए
पंख फैलाकर
उड़ान भरने के लिए
सच की हकीकत का कोई धरातल नहीं।