वो बचपन के दिन और
वो चांदनी रातें
वो छत और
छत से दिखता
एक खुला आकाश
रात का पहरा
उस पर एक फूल सा खिलता चांद
सुनहरा
चांद कभी छिप भी जाये
कुछ समय के लिए
गर बादलों के पीछे या
जमीन से
नंगी खुली आंखों से न भी दिखे तो
बंद कर लो जो पलकें तब तो
अवश्य ही दिखे
दिल जब एक बच्चे का होता है और
उसी के अंदाज में धड़कता है तो
रात के आकाश में चांद गर
न भी हो
तब भी दिखता है
एक चांद नहीं
जिधर भी नजर दौड़ाओ
चांदनी से सजा एक
सुंदर मंजर ही दिखता है
चांद से चेहरे
चांद से ही दिल
चांद सी मोहब्बत
चांद सी हसरतें और
चांदनी की चाशनी में लिपटी
चांद सी बातें
सब कुछ चांद ही होता है और
चांद के बाजार में
चांद की दुकानों पर
हर जगह चांद ही दिखता और
सजता है
चांद को ही खरीदा जाता है
चांद को ही बेचा जाता है
हर कोई चांद को पाने की आस
दिल में लिए होता है
चांदनी रात
चांद के बिना भी
हो सकती है गर
मन की आंख से देखो तो।