गुलाबी रंग की बात
छिड़ते ही जेहन में सबसे पहले
गुलाबी रंग के फूलों की
याद आती है
गुलाब की याद आती है
तुम्हारे गुलाबी लबों और
गुलाबी गालों की
तुम्हारे चेहरे की गुलाबी रंगत की
याद तरोताजा हो जाती है
गुलाबी सर्द मौसम की याद सताती है
गुलाब के फूल से ही महकते, चहकते और
लहकते
खिलखिलाकर अपनी हंसी से
गुलशन को अपनी
मासूमियत से सजाते किसी बच्चे की
याद बरबस आती है
गुलाबी परी गुलाबी फ्रिल की
फ्रॉक पहने
आंखों के पर्दों के सामने
लहराती है
गुलाबी रंग के गुड़िया के बाल
खाने की चाहत दिल में घर कर
जाती है
गुलाबी रंग कितना प्यारा
होता है
इसका नजारा आंखों में जैसे
सुरमई ख्वाब से बुनता है
प्यार का रंग भी गुलाबी होता है
इसका खुमार
इसका नशा
इसकी महक से भरा दिल का उपवन
गुलाबी रंग से ही रंगा होता है
हमारे देश में तो है एक शहर भी
जिसका हर घर है गुलाबी रंग से
पुता हुआ
मेरे तो दिल में भी है
एक गुलाबी रंग का ही
प्रेम का फूल जो
जब किसी गुलाबी लबों पर
एक खुशी की बहार देखता है तो
खिल उठता है और
गुलाबी महक बरसाता हुआ ही
हर सू प्रेम में खुशी के मारे पागल होकर
गुलाब जल से नहाकर
गुलाबी रंग में सराबोर
बाग बाग हो जाता है।