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गुमनामी का अंधेरा

मैं खुद को

तब तक जानती थी

थोड़ा बहुत

जब तक कुछ लोग जो मेरे

अपने थे और

शुभचिंतक भी

मेरे साथ जुड़े हुए थे

वह मुझे हौसला देते थे

जीवन में कुछ कर गुजरने का उद्देश्य देते थे

मुझे एक विशेष स्थान देते थे

उन्होंने मुझे कभी यह महसूस नहीं होने दिया कि

मैं एक सामान्य व्यक्ति हूं

तन्हा हूं और

इस दुनिया की भीड़ का एक हिस्सा मात्र हूं लेकिन

ऐसे लोगों का साथ छूटने का

नतीजा यह हुआ कि

मैं खुद की पहचान भूलने लगी और

एक गुमनाम जिन्दगी जीने लगी

कोई कितनी भी कोशिश कर ले कि

यह परिस्थितियां न बने लेकिन

जब साथ जुड़े लोगों का सहयोग

नहीं मिलता

हर समय उपेक्षा और जलालत झेलनी

पड़ती है तो

किसी भी व्यक्ति की

मानसिक स्थिति ऐसी बन सकती है

गुमनामी का अंधेरा सच में

बहुत दर्दनाक और घातक है

इससे निकलने का बस एक तरीका

यही है कि

आखिरी सांस तक लड़ते रहे

यह कोशिश करते रहे कि

उम्मीद की एक भी किरण दिखे तो

उसे लपककर अपने पाश में कैद

कर लें

उसका सहारा लेकर ही

अपने नाम को

अपनी सांस को

अपने काम को जिन्दा रखें

गुमनाम होने का डर त्यागकर

अपने कार्यक्षेत्र में नाम कैसे कमायें

अपना सितारा कैसे बुलंद करें

अपने आसमान के चांद को कैसे

चमकायें

अपनी जमीन से अपनी मंजिल का

सफर

अपना आसमान कैसे पायें

इस पर अधिक ध्यान केंद्रित करें।